Sunday, September 5, 2010
सोचा जो न सपनो में आया है बनके हकीकत
सोचा न था जो कभी सपनो में भी हमने
वो आज हकीकत बनके सामने आया है
रिश्ते बनाने में क्यों लग जाते है बरसो
और हर रिश्ते को एक पल में बिखरते पाया है
रात के अँधेरे में जो अक्सर डराता है मुझको
तलाशने पर मिला वो अक्सर अपना ही साया है
एक अच्छा दोस्त बनना सिखाया है जिसने
काबिल नहीं दोस्ती के ये एहसास भी दिलाया है
क्यों उतर नहीं पाते हम किसी की उमीदो पे खरे
ये बात "आदि" आज तक समझ नहीं पाया है
कुछ अच्छे दोस्त आज भी साथ है हमारे (P)
और उमरभर रहने वाला हमारी शक्शियत पे उनका साया है
चल दिए सब अपनी - अपनी कह के यारो
आदि के दिल की बात आज तक कोन समझ पाया है
समझ पाया है समझ पाया है ....?
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sry brother fir se chori kar raha hon,
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