------हर ना तुम्हारे लिए हाँ बन गयी ------
कितनी अनजान थी तुम
पर धीरे-२ मेरी जान बन गयी
सब जानते है आज मुझे तेरे ही नाम से
धीरे-२ तू ही मेरी पहचान बन गयी
जब कहा भरी महफिल में "आदित्य" ने उन्हें जान अपनी
तो दिल में हाँ करके आँखों से बयाँ करके जुबा से अनजान बन गयी
देख के मेरा प्यार उसने कहा बहुत मासूम हो तुम
तभी तो मेरी हर ना धीरे-२ तुम्हारे लिए हाँ बन गयी
**आदित्य सकलानी*
कितनी अनजान थी तुम
पर धीरे-२ मेरी जान बन गयी
सब जानते है आज मुझे तेरे ही नाम से
धीरे-२ तू ही मेरी पहचान बन गयी
जब कहा भरी महफिल में "आदित्य" ने उन्हें जान अपनी
तो दिल में हाँ करके आँखों से बयाँ करके जुबा से अनजान बन गयी
देख के मेरा प्यार उसने कहा बहुत मासूम हो तुम
तभी तो मेरी हर ना धीरे-२ तुम्हारे लिए हाँ बन गयी
**आदित्य सकलानी*
No comments:
Post a Comment