Tuesday, September 27, 2011

बात आदित्य और उसकी कलम कि

















------------------बात आदित्य और उसकी कलम कि ---------------------
तन्हा हुआ "आदित्य" तो दिल ने फिर आवाज दी कलम उठाने को
एक दिन इसी दिल ने कहा था जिस कलम को छोड़ जाने को
हाथ उठाया लिखने को तो लगा कलम को भी किसी के आने का इंतज़ार है
कहा "आदित्य" ने कलम से तू भी रुक गयी मेरे दिल कि बेबसी आजमाने को
तो कलम ने कहा हँसते हुए कहा क्यों झूठे गम दिखाता है मुझे सब पता है
तू भी तो लिखता है सिर्फ अपना दिल बहलाने को
मैंने कहा जा तू भी किसी कोने में पड़ी रह तन्हा मेरे दिल कि तरह
तो कहने लगी क्यों तन्हा छोड़ रहा है मुझे तू अपना ही दिल दुखाने को
मैं तेरे साथ हूं कोई हो ना हो एक दिन तेरी याद आएगी जरूर इस जमाने को

याद रखना इस आदित्य को भुलाना ना कभी
गुजारिश है सब से अपनों को आजमाना ना कभी

**आदित्य सकलानी**

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