Sunday, September 12, 2010

जानता हूँ छोड़ना पड़ेगा एक दिन - Janta Hoon Chhodna Padega Ek Din -






































जानता हूँ छोड़ना पड़ेगा एक दिन तुझे मेरा हाथ अपने हाथो में लेकर
जाना चाहता हूँ मैं वो वक़्त आने से पहले तेरी यादे लेकर
हंसती थी खिलखिलाकर जब तुम बातो पे मेरी
जाना चाहता हूँ साथ अपने तुम्हारे वो ठहाके लेकर
याद आएगा वो लम्हा पल पल मुझको
थामा था जब तेरा हाथ दोस्ती करने के इरादे लेकर
इस से पहले के टूट जाये मजबूर होके
जाना चाहता हूँ साथ अपने वो तेरे वादे लेकर
हमेशा याद बनके रहेगा साथ तेरे "आदित्य"
जाना चाहता हूँ तुझको ये वादा देकर
जानता हूँ छोड़ना पड़ेगा एक दिन तुझे मेरा हाथ अपने हाथो में लेकर
बस जाना चाहता हूँ मैं वो वक़्त आने से पहले तेरी यादे लेकर

Wednesday, September 8, 2010

करके क़त्ल अपनी बेटी का

















मैंने सोचा उसे नींद नही आयी होगी
दिल में उसके कही ना कही तन्हाई होगी
पर ये क्या वो तो चैन कि नींद सोया है आज
कहते सुना बहुत दिनों बाद गहरी नींद आई होगी
सो सकता है क्या कोई चैन से इस तरह
क़त्ल अपनी बेटी का करने के बाद
होंठो पे जिसके अभी जुबा नहीं
मुहँ उसका हमेशा के लिए बंद करने के बाद
क्या हो गया है इंसानों को क्यों वो हैवान बनते जा रहे है
पूजते है वो जिनको उन्ही का कत्लेआम करते जा रहे है
कहता है "आदित्य" अभी भी सुधर जाओ, फिर ना मिलेगा वक़्त पछतावे का
क़त्ल करना ही है तो क़त्ल करदो अपनी बेटी के क़त्ल के इरादे का
अपनी बेटी के क़त्ल के इरादे का .................

Sunday, September 5, 2010

हम तो सिर्फ अपनी मोहब्बत पे ऐतबार किया करते है - Hum To Sirf Apni Mohabbat Pe Etbar Kiya Karte Hai - I Just Believe In My Love
























हमसे पूछते है आजकल क्या किया करते है
हम तो सिर्फ आप ही को याद किया करते है
ये हम नहीं कहते हमारे घरवाले कहते है
हम नींद में भी आप ही का नाम लिया करते है
अब तो लोग भी हमे पागल, दीवाना कहने लगे है
देख हर लड़की में शक्ल तुम्हारी हम हंस दिया करते है
जाने कैसी ये मोहब्बत है कैसा ये दीवानापन है
हम तो तेरे ख्वाबो में किये वादों पे भी ऐतबार किया करते है
जुबां से तुझको कुछ कहने कि जरूरत नहीं
हम तेरी हर बात हम आँखों से समझ लिया करते है
आने कि भी तुझको जरूरत नहीं
तेरी खुशबु हम हवाओ में पा लिया करते है
कभी माँगा नहीं "आदित्य" ने खुदा से भी तुझको ,
क्या पता दिल उसका भी फिसल जाये
हम तो सिर्फ अपनी मोहब्बत पे ऐतबार किया करते है

बार - बार Bar-Bar














कभी सुरुवात की थी हंसने हँसाने से
आज वक़्त गुज़र जाता है रूठने-मनाने में

पता नहीं ये खता हमसे क्यों होती है बार बार
हमसे मिलने पे आँखें किसी की नम क्यों होती है बार बार|
चाहा तो बहुत की न कहे कुछ भी ऐसा जो दिल पे लगे||
पर न जाने वही बाते जुबा पे क्यों होती है बार बार|
शायद हमारी किस्मत में ही नहीं दोस्ती किसी की पाना||
तभी तो धोखा हमारी किस्मत हमे यु देती है बार बार|
कहते है की हाथो की लकीरों में जो लिखा है वो होके रहेगा||
पर हमारी तो हाथो की लकीरे भी बदलती है बार बार|


ये मेरी खुद की लिखी हुई सिर्फ एक छोटी सी कविता ही नहीं
परन्तु मेरे दिल के जज्बात है जिन्हें हमने शब्दों की माला में पिरो कर
कविता में ढाला है

कई बार इन्सान करना कुछ और चाहता है पर हो कुछ और जाता है
वो पाना कुछ कुछ और चाहता है पर उसे मिलता कुछ और है शायद यही दुनिया का दस्तूर है
यदि आप लोगो को ये पसंद आये तो कृपया अपने विचार अवश्य दे

A Part Of Life ("किस्सा दोस्ती का हिस्सा जिन्दगी का")




















यही तो हमारी दोस्ती का किस्सा है|
हमारे दोस्त ने हमसे कहा वो हमारी जिन्दगी का हिस्सा है||
हम जानते है की वो हमारे लिए क्या है|
और ये भी जानते है की वक़्त किसके लिए रुकता है||
हम आज है कल रहे न रहे|
कल के बाद हमारी दोस्ती दुनिया के लिए एक किस्सा है||
हर कोई खुद के लिए जीता है इस जहां में|
जो दुसरो के लिए जीना सिखा दे वही तो दोस्ती का रिश्ता है||
जिन्दगी के हर मोड़ पे साथ निभाया है उसने मेरा|
बन के आया वो दोस्त मेरी जिन्दगी में फ़रिश्ता है||
जिसका न कोई "आदि"  है न है कोई अन्त|
ऐसा हमारी दोस्ती का रिश्ता है||
कुछ देर याद रख के भुला देना ही तो दुनिया की रीत है|
और जो भूले से भी न भूले कभी ऐसी मेरी प्यारी "प्रीत"  है||

यही तो हमारी दोस्ती का किस्सा है ........
यही तो हमारी दोस्ती का किस्सा है ........

सोचा जो न सपनो में आया है बनके हकीकत



















सोचा न था जो कभी सपनो में भी हमने
वो आज हकीकत बनके सामने आया है
रिश्ते बनाने में क्यों लग जाते है बरसो
और हर रिश्ते को एक पल में बिखरते पाया है
रात के अँधेरे में जो अक्सर डराता है मुझको
तलाशने पर मिला वो अक्सर अपना ही साया है
एक अच्छा दोस्त बनना सिखाया है जिसने
काबिल नहीं दोस्ती के ये एहसास भी दिलाया है
क्यों उतर नहीं पाते हम किसी की उमीदो पे खरे
ये बात "आदि" आज तक समझ नहीं पाया है
कुछ अच्छे दोस्त आज भी साथ है हमारे (P)
और उमरभर रहने वाला हमारी शक्शियत पे उनका साया है
चल दिए सब अपनी - अपनी कह के यारो
आदि के दिल की बात आज तक कोन समझ पाया है
समझ पाया है समझ पाया है ....?

कबूतर और कबूतरी
















शाम के सुहावने मौसम में जो निकला मन को बहलाने "आदि"
हलकी - हलकी बारिश कि बुँदे आ रही थी
दूर कही ढलते सूरज कि लालिमा भी गहरा रही थी
एसे में प्रेम का एक अजब नज़ारा देखने को मिला
जहा वक़्त नहीं इन्सान के पास एक दूसरे के लिए
गजब का सहारा देखने को मिला
कबूतर और कबूतरी गुटरगू-२ करके आपस में कुछ बतिया रहे थे
शायद शायरी प्रेम भरी वो भी एक दूसरे को सुना रहे थे
एक दूसरे कि आँखों में वो इंसानों कि तरह खोये हुए थे
ऐसा लग रहा था अरमान जगे है वो, जो ना जाने जो कब के सोये हुए थे
देख के उनको ख्याल आया इंसान से तो ये कबूतर अच्छे है
कम से कम अपने प्यार के प्रति तो सच्चे है
लौट के जो आया घर को तो दिल में इक सवाल सा था
उस कबूतर कि जगह मैं क्यों नहीं बस यही मलाल सा था.............

Friday, September 3, 2010

आतंकवाद
















गया था अमन और शांति का फूल लेकर उसके पास
पर उसके हाथो में तो सदा खंजर था
देखा दूसरे ही दिन अखबारों में
कितना दर्दनाक उसके इरादों का मंजर था
उसने तो सोचा नेक दिल वालो को मार के वो महान हो गया
जानता नहीं कर के ये सब, जहा वो डूब रहा वो पापो का समन्दर था
पर ये क्या देखा उसने एक दिन उसके भी घर के सामने भीड़ लगी थी
ये क्या हो गया? जो वो अभी-२ कर के आया था, वही मंजर उसके भी घर के अन्दर था