Saturday, December 25, 2010

जो मांगते है हम अक्सर - Jo Mangte Hai Hum Aksr

जो मांगते है हम अक्सर, वो हमारे मुकदर मे नहीं होता
लड़ जाते जहा से, मैं साथ तेरे हूँ, गर तूने ये कहा होता
कुछ रिश्ते निभाने है अभी मुझको जो खुदा ने बना के भेजे है साथ मेरे
वरना ये "आदित्य" जिन्दगी को भी रुसवा कर गया होता
मुनकिन नहीं भूल जाना ये जानते है सब मोहबत करने वाले
मिटा देता नाम तेरा, गर तू दिल पे ना मेरे लिख गया होता
कहती है दुनिया एक झूठ अक्सर के बहने दो आंसूओ को गम कम होंगे
काश के तेरा गम भी मेरे आंसूओ के साथ बह गया होता
खुदा ने एक रिश्ता और बनाया है दोस्ती का जो हमेशा रहेगा
जानता हूं कुछ गम हंस के तू भी सह गया होगा
"आदित्य" तो निकलता है हर सुबह रोशनी मे अपनी सबकों राह दिखाने
और दीखता भी रहता गर अँधेरा निशा(रात्रि) का उसे ना निगल गया होता
**आदित्य सकलानी**

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