dil se chhot khayi thi or dil ko pathar bna liya hai
डर लगता है हमें उस नाम से यारो |
कहती है ये दुनिया जिसे दोस्ती ||
कभी तो लिखी जाती है इतिहास के पन्नो में |
कभी मिटा देती है किसी की हस्ती ||
ना जाने क्यों वो आजकल बदले -२ से नज़र आते है वो
ना जाने क्यों लगता है कुछ बहाने से बनाते है वो
कभी तो एहसास दिलाते है की पास है वो मेरे
ना जाने क्यों फिर पास होते हुए भी दूर नज़र आते है वो
I am So Confused .......................................?
कुछ तो जिन्दगी जीने के लिए चाहिए
तू नहीं तेरी तस्वीर ही सही
अब याद आ रहा है तुने कब कहा था की मोहबत है "आदि" तुझसे
ये बाते तो मैंने ही तुझसे थी कही
एक वो है जो नहीं जानते की क्या है वो हमारे लिए |
एक "आदि" है जो कहता है मेरा सब है तुम्हारे लिए ||
खुदा ने जाने क्या लिखा है किस्मत में हमारी |
हम हो के भी भी नहीं हो सकते है उनके और न वो बने है हमारे लिए ||
वो कहते है हमसे की आपकी दोस्ती मागते है हम उम्र भर तक के लिए|
उन्हें क्या पता "आदि" ने तो जिन्दगी नाम कर दी है उनके, मरते दम तक के लिए||
आपकी यादों को दिल दे लगाके रखेगा ये "आदि" का वादा है|
दुनिया की पहचान नहीं बस "आदि" तो सीधा- साधा है ||
दोस्ती हम निभायेगे जब तक है हम |
प्यार तो बस प्यार है, चाहे पूरा है या हिस्सा उसका आधा है ||
शिकार हो गए हम तो किसी की हंसी के |
निसार हो गए हम तो किसी की दिल्लगी पे||
क्या हुआ जो करके वादा वो भूल गए|
मजबूर तो हम भी थे अपने दिल की बेबसी पे ||
3rd Aug, 2010
देखे लोग कैसी भी नजरो से हम तो गुज़र जायेगे अपनी मस्ती में |
गुज़रते है हम जहा से भी लोग देखते रह जाते है बात ही ऐसी है हमारी हस्ती में ||
नदी हो या हो सागर की लहरे हम नहीं डरने वाले |
उन लहरों को पार करने के लिए बैठे है हम खुदा की बनायीं प्यार भरी कश्ती में||
7th Aug, 2010
हवाओ ने भी अपना रुख मोड़ लिया है
जब से इंसानों ने अपना मुख मोड़ लिया है
अब क्या करेगी ये हवाए गाव जाकर
जब हम लोगो ने ही गावो से नाता तोड़ दिया है
अपनी सांसो पे तुम्हे एतबार करना होगा
अपने दोस्तों से तुम्हे प्यार करना होगा
तनहा पाओ गर खुद को कभी एक आवाज देना कह के "आदि"
गर मौत भी मेरे करीब होगी तो उसे भी अपना मुख मोड़ना होगा
"जिन्दगी दोड़ने लगे गर काटने आपको बस दिल को अपने बच्चा कर लेना"
9th Aug, 2010
अब बात जब आपने पढने कि कि
तो हम तो उनकी आँखों से ही पढ़ लिया करते है
लोग सपने में किताबे देखते है
और हम किताबो में भी उनके सपने लिया करते है
11th Aug, 2010
. क्या मिटेगे ये लोग देश कि आन कि खातिर
जो बेच दे अपना इमां भी अपनी शान के खातिर
कहता है "आदित्य" कि दफा करो इनको यहाँ से
जो जीते है खुद के लिए क्या करेगे वो इन्सान कि खातिर
कभी लोगो कि मस्ती भरी आवाजो से गूंजता था जो कुआ
आज पतों कि डरावनी सरसराहट से गूजता है वो कुआ
कभी प्यासों कि प्यास बुझाता था जो कुआ
आज खुद एक बूंद पानी को तरसता है वो कुआ
तरसता है वो कुआ ..........
12th Aug, 2010
हमारी आँखों में किसी को पहचानना इतना भी आसान नहीं
बस एक धुंधली सी तस्वीर नज़र आएगी
देखना ही है तो उसकी हाथो कि लकीरों में देखो
"आदि" के नाम कि एक लकीर नज़र आएगी
18 Aug,2010
बस बात है कही अनकही उन बातो कि
जो हर पल दिल में मचलती रहती है
दुनिया के उस भाव कि.जो हर पल अपना रंग बदलती रहती है
रिश्ते शायद कही खो गए है अहम् के भाव में
कुटिल मुस्कान है सबके चेहरे पे जो सबको ठगती रहती है
करके खिलवाड़ प्रकृति से बहुत तुम खुश होते हो
जब दिखाती है वो रोद्र रूप भूकंप और सुनामी बनकर फिर क्यों तुम रोते हो
भगवान ने जिसे जैसा बनाया वैसा ही रहने दो
उस के बनाए को बदलने वाले तुम कोन होते हो
उम्र मे छोटे सही पर इतने भी नादान नहीं
बहाना है या वक़्त कि पाबन्दी, कि "आदित्य" को इतनी भी पहचान नहीं
हमने तो दोस्ती कि है निभाते रहेगे उम्र भर के लिए
हमने दोस्त को दोस्त ही माना है कोई एहसान नहीं
मेरी हर बात पे उसके होंठो से निकलती ना है
एक अच्छी दोस्ती कि ये भी तो पहचान नहीं
18th Sep, 2010
आदि तो शायर है शायरी मे अपनी बात कह गया
आँखों मे आंसू आने ना दिए बस हर गम हंस के सह गया
उसने तो सोचा खुश है उसकी रुसवाई से "आदित्य"
ये ना समझा कि बाद उसके अब मेरे पास ना कुछ और रह गया
18th Sep, 2010
क्यों धुंध सी छाई है इस रास्ते पर
क्यों इतनी तन्हाई सी है इस रास्ते पर
अब याद आया ये वही रास्ता है जहा मिलते थे हम दोनों
तभी सोचु क्यों यादो कि एक परछाई सी है इस रास्ते पर
21 Sep, 2010
हर वक़्त जब इंतज़ार रहने लगे तब दोस्ती प्यार मे बदल जाती है
जुबा गर सामने दोस्त के भी रुकने लगे तो इकरार मे बदल जाती है
ध्यान रखना दिल को पता भी नहीं चलता
और हर ना हमारी बन के हाँ प्यार के इज़हार मे बदल जाती है
21 Sep, 2010
लिखना चाहता हूँ पर आजकल कलम साथ नहीं देती
कुछ लिखू कुदरत भी एसे हालत नहीं देती
जाना चाहता है "आदित्य" एक लम्बी सैर पे साथ उसके
पर वो भी आजकल हाथो मे मेरे अपना हाथ नहीं देती
11 Oct, 2010
मिल जाये जो साथ उसका तो और जिन्दगी मे क्या चाहिए
हमको तो हमेशा हाथो मे अपने हाथ उसका चाहिए
हर मंजिल को पर कर जायेगे चाहे डगर मुश्किल कितनी भी हो
"आदित्य" को तो चलने के लिए बस साथ उसका चाहिए
11 Oct, 2010
भुलाना ना हमे याद रखना
हम फिर आयेगे मिलने जरूर तुझसे
मेरी जुदाई जब तेरी ख़ुशी बन गयी है अब
तेरी ख़ुशी के लिए जा रहे है अब दूर तुझसे
कुछ ना कहना तुम बस चुप कर जाना
मेरे जाने का सबब लोग पूछेगे जरूर तुझसे
याद तो हम बेहिसाब आयेगे ही
नाम "आदित्य"" का हर उस जर्रे - २ मे लिखा है
के जिस जर्रे से कोई भी आशिक गुजरा है
दुनिया ने तो किसी को दिया ही क्या है
जो करे परवाह दुनिया कि वो जिन्दगी अपनी जिया ही क्या है
गर देखा होता दिल मे झांक के "आदित्य"
तो मुझे कहना ना पड़ता बता तुझे मुझसे गिला क्या है
यही मोहब्बत का दस्तूर है
पास होते हुए भी प्यार तुम्हारा तुमसे दूर है
हमने तो चाहा उसे दिल के इशारे पे
अब वो बेवफा निकला तो बताओ इसमें "आदित्य" का क्या कसूर है
जीते है हम अक्सर जिनके लिए "आदित्य"
एक दिन वो देते है जहर
तभी तो अब बेगाना सा लगता है
"आदित्य" को अपना ही शहर
hanji ji hai to bhut achi bt ye dusre wala kisko sochke likha hai hmmmmmmmmm ab tum pe shaq ho ra hai. kaun hai wo?
ReplyDeletehaaaaaaaaa
ReplyDeleteesa ni kuch kisi or ka kisi or ke liye the meine to bas likha hai kisi ke liye