Monday, November 8, 2010

क्यों धुंध सी छाई है इस रास्ते पर - Kyo Dhundh Si Chhayi Hai Is Raste Pr























क्यों धुंध सी छाई है इस रास्ते पर
क्यों इतनी तन्हाई सी है इस रास्ते पर
ये वही रास्ता है जहा मिलते थे हम दोनों
तभी यादो कि एक परछाई सी है इस रास्ते पर
साथ चलते -२ ना जाने कब शाम ढाल जाती थी
देख के ढलते हुए सूरज  को जब घर जाने कि याद आती थी
ढलते सूरज कि उस लालिमा कि गहराई सी है इस रास्ते पर
छुप के कही पेड़ के पीछे वो सताना तुमको
चुप से आके रख के आँखों पे तुम्हारी हाथ वो सताना तुमको
आज फिर से वो याद वापिस लौट आई है इस रास्ते पर
काश के हम आज फिर साथ चलते इस रास्ते पर
पर अब तो बस तुम्हारी यादो कि ही परछाई है इस रास्ते पर ................

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